4 दिसंबर 2023 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नौसेना दिवस के अवसर पर सिंधुदुर्ग के राजकोट किले पर छत्रपति शिवाजी महाराज (Chhatrapati Shivaji Maharaj Statue) की पूर्णाकृति प्रतिमा का अनावरण किया था। इस प्रतिमा को भारतीय नौसेना के संस्थापक के रूप में सम्मान देने के उद्देश्य से स्थापित किया गया था। इस प्रतिमा के कारण पर्यटन में वृद्धि की उम्मीद जताई गई थी। लेकिन, प्रतिमा के अनावरण के मात्र आठ महीने बाद ही, 26 अगस्त को यह प्रतिमा गिर गई। यह घटना दोपहर के समय हुई, और प्रतिमा के गिरने से चारों ओर आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया।
प्रतिमा गिरने की घटना
Chhatrapati Shivaji Maharaj Statue राजकोट किले पर स्थित यह प्रतिमा 43 फीट ऊंची थी, जिसमें 15 फीट का आधार और 28 फीट की प्रतिमा शामिल थी। प्रतिमा के गिरने का कारण अभी तक स्पष्ट नहीं हो पाया है। कुछ अधिकारियों का कहना है कि पिछले कुछ दिनों में जिले में भारी बारिश और तेज हवाओं का असर हो सकता है। हालांकि, प्रतिमा के गिरने के पीछे का असली कारण जानने में अभी और समय लगेगा।
प्रतिमा निर्माण की प्रक्रिया
इस(Chhatrapati Shivaji Maharaj Statue) प्रतिमा के निर्माण की प्रक्रिया जून 2023 में शुरू हुई थी। पहले यह प्रतिमा सिंधुदुर्ग किले में स्थापित की जाने वाली थी, लेकिन बाद में इसे राजकोट किले पर स्थापित करने का निर्णय लिया गया। प्रतिमा के निर्माण के लिए नौसेना द्वारा चयनित स्थान का सर्वेक्षण किया गया, लेकिन प्रशासनिक बाधाओं के कारण स्थान बदल दिया गया।
इस प्रतिमा के निर्माण में 650 टुकड़े शामिल थे, जिन्हें थ्रीडी प्रिंटिंग के माध्यम से जोड़ा गया था। प्रतिमा के निर्माण के लिए जयदीप आपटे और सतीश देसाई जैसे विशेषज्ञों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
राजकोट किला पर छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा गिरने की घटना: क्या हैं आरोप और क्या है सच्चाई?
4 दिसंबर 2023 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नौसेना दिवस के अवसर पर सिंधुदुर्ग के राजकोट किले पर छत्रपति शिवाजी महाराज(Chhatrapati Shivaji Maharaj Statue) की पूर्णाकृति प्रतिमा का अनावरण किया था। इस प्रतिमा को भारतीय नौसेना के संस्थापक के रूप में सम्मान देने के उद्देश्य से स्थापित किया गया था। इस प्रतिमा के कारण पर्यटन में वृद्धि की उम्मीद जताई गई थी। लेकिन, प्रतिमा के अनावरण के मात्र आठ महीने बाद ही, 26 अगस्त को यह प्रतिमा गिर गई। यह घटना दोपहर के समय हुई, और प्रतिमा के गिरने से चारों ओर आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया।
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प्रतिमा गिरने की घटना
राजकोट किले पर स्थित यह(Chhatrapati Shivaji Maharaj Statue) प्रतिमा 43 फीट ऊंची थी, जिसमें 15 फीट का आधार और 28 फीट की प्रतिमा शामिल थी। प्रतिमा के गिरने का कारण अभी तक स्पष्ट नहीं हो पाया है। कुछ अधिकारियों का कहना है कि पिछले कुछ दिनों में जिले में भारी बारिश और तेज हवाओं का असर हो सकता है। हालांकि, प्रतिमा के गिरने के पीछे का असली कारण जानने में अभी और समय लगेगा।
प्रतिमा निर्माण की प्रक्रिया
इस प्रतिमा के निर्माण की प्रक्रिया जून 2023 में शुरू हुई थी। पहले यह प्रतिमा सिंधुदुर्ग किले में स्थापित की जाने वाली थी, लेकिन बाद में इसे राजकोट किले पर स्थापित करने का निर्णय लिया गया। प्रतिमा के निर्माण के लिए नौसेना द्वारा चयनित स्थान का सर्वेक्षण किया गया, लेकिन प्रशासनिक बाधाओं के कारण स्थान बदल दिया गया।
इस प्रतिमा के निर्माण में 650 टुकड़े शामिल थे, जिन्हें थ्रीडी प्रिंटिंग के माध्यम से जोड़ा गया था। प्रतिमा के निर्माण के लिए जयदीप आपटे और सतीश देसाई जैसे विशेषज्ञों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
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आलोचनाएं और आरोप
Chhatrapati Shivaji Maharaj Statue प्रतिमा के निर्माण के समय से ही इसे लेकर स्थानीय लोगों और इतिहासकारों ने सवाल उठाए थे। इतिहासकार इंद्रजीत सावंत ने कहा था कि इस प्रतिमा को जल्दबाजी में पूरा किया गया और शिल्पकला की दृष्टि से यह सही नहीं है। शिवसेना के ठाकरे गुट के विधायक वैभव नाईक ने सार्वजनिक बांधकाम विभाग पर निशाना साधते हुए कहा कि प्रतिमा के गिरने का कारण निर्माण में हुई खामियां हैं।
वहीं, शिवसेना(UBT) नेता संभाजीराजे छत्रपति ने भी प्रतिमा के गिरने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राज्य सरकार को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि प्रतिमा के आकार और संरचना को लेकर पहले ही प्रधानमंत्री को पत्र लिखा गया था, लेकिन इसे नजरअंदाज कर दिया गया।
सरकार की प्रतिक्रिया
राज्य के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और सार्वजनिक बांधकाम मंत्री रवींद्र चव्हाण ने इस घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताया और कहा कि प्रतिमा को पुनः स्थापित किया जाएगा। वहीं, भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष अतुल काळसेकर ने इस घटना को षड्यंत्र करार दिया और इसकी सख्त जांच की मांग की।
समाज की प्रतिक्रिया
Chhatrapati Shivaji Maharaj Statue का गिरना महाराष्ट्र के लोगों के लिए गहरी चोट के समान है। शिवाजी महाराज, जो कि महाराष्ट्र की सांस्कृतिक धरोहर के प्रतीक हैं, उनकी प्रतिमा का इस तरह गिरना समाज में गुस्सा और असंतोष फैला रहा है। Chhatrapati Shivaji Maharaj Statue के इस अपमान को जनता सरकार की असफलता के रूप में देख रही है।
राजकोट किले पर छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा का गिरना न केवल प्रशासनिक विफलता को उजागर करता है, बल्कि इसमें राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप का भी एक नया अध्याय जोड़ दिया है। Chhatrapati Shivaji Maharaj Statue का गिरना न केवल एक भौतिक क्षति है, बल्कि यह महाराष्ट्र की सांस्कृतिक धरोहर और जनता के विश्वास के लिए एक बड़ा आघात है। सरकार को इस घटना से सबक लेते हुए भविष्य में अधिक सतर्कता और जिम्मेदारी के साथ कार्य करना चाहिए, ताकि इस प्रकार की घटनाओं से बचा जा सके। Chhatrapati Shivaji Maharaj Statue के सम्मान को बनाए रखना सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिए।
अब देखना होगा कि इस मामले की जांच कैसे होती है और क्या नई प्रतिमा स्थापित की जाएगी?