म्यूचुअल फंड्स में निवेश करते समय रिटर्न्स को समझना बेहद जरूरी होता है, ताकि आप अपने निवेश के परिणामों को सही तरीके से आकलन कर सकें। यहां हम म्यूचुअल फंड्स के विभिन्न प्रकार के रिटर्न्स को विस्तार से समझेंगे, ताकि आपके सभी भ्रम दूर हो जाएं।
1. अब्सोल्यूट रिटर्न (Absolute Return) क्या है?
अब्सोल्यूट रिटर्न वह रिटर्न होता है, जो किसी निवेश के शुरूआती मूल्य से तुलना करके मिलता है। यह रिटर्न इस बात को दर्शाता है कि आपने अपने निवेश पर कुल कितना प्रतिशत लाभ कमाया।
उदाहरण:
मान लीजिए, आपने मार्च 2017 में 1 लाख रुपये का निवेश किया और मार्च 2022 में उसकी वैल्यू बढ़कर 1,70,000 रुपये हो गई। यहां पर आपको 5 सालों में कुल 70,000 रुपये का मुनाफा हुआ।
अब्सोल्यूट रिटर्न की गणना इस प्रकार होगी:
अब्सोल्यूट रिटर्न की गणना इस प्रकार की जाती है:
अब्सोल्यूट रिटर्न = ((अंतिम मूल्य – शुरुआती मूल्य) / शुरुआती मूल्य) × 100
उदाहरण:
अब्सोल्यूट रिटर्न = ((1,70,000 – 1,00,000) / 1,00,000) × 100 = 70%
इसका मतलब है कि आपने अपने निवेश पर 70% का कुल मुनाफा कमाया है।
2. कंपाउंड एनुअल ग्रोथ रेट (CAGR) क्या है?
CAGR (कंपाउंड एनुअल ग्रोथ रेट) वह दर है, जिस पर आपका निवेश हर साल समान रूप से बढ़ता है। यह रिटर्न बताता है कि यदि आपका निवेश हर साल एक निश्चित दर से बढ़ता, तो वह 5 साल बाद किस दर से बढ़ता।
उदाहरण:
मान लीजिए, आपने मार्च 2017 में 1 लाख रुपये का निवेश किया और मार्च 2022 में इसकी वैल्यू 1,70,000 रुपये हो गई। अब, CAGR की गणना इस प्रकार होगी:
CAGR की गणना इस प्रकार की जाती है:
CAGR = (अंतिम मूल्य / शुरुआती मूल्य)^(1/सालों की संख्या) – 1
उदाहरण:
CAGR = (1,70,000 / 1,00,000)^(1/5) – 1 = 11.2%
इसका मतलब है कि आपका निवेश हर साल औसतन 11.2% की दर से बढ़ा।
3. रोलिंग रिटर्न्स (Rolling Returns) क्या हैं?
रोलिंग रिटर्न्स उस निवेश के प्रदर्शन का आकलन करने का एक तरीका है, जहां आप किसी भी समय अवधि में विभिन्न पीरियड्स के दौरान मिले रिटर्न्स को देखते हैं। यह रिटर्न्स का एक विश्लेषणात्मक तरीका है जो निवेश के स्थायित्व और निरंतरता को मापता है।
उदाहरण:
मान लीजिए, आप किसी फंड में 5 साल के लिए निवेश करते हैं। आप हर महीने उस फंड का रिटर्न्स चेक करते हैं और उसके आधार पर एक ग्राफ बनाते हैं। अगर आपने जनवरी 2017 से दिसंबर 2021 तक निवेश किया है, तो आप जनवरी 2017 से दिसंबर 2021 तक के रिटर्न्स को हर महीने के आधार पर चेक करेंगे। इस तरीके से आपको यह समझने में आसानी होगी कि आपके फंड ने किस समय बेहतर प्रदर्शन किया और किस समय कम।
4. SIP रिटर्न्स और लंप सम रिटर्न्स में अंतर
SIP (सिस्टेमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान) में निवेशक हर महीने या निश्चित अंतराल पर एक निश्चित राशि का निवेश करते हैं, जबकि लंप सम निवेश में एक बार में पूरी राशि का निवेश किया जाता है। दोनों के रिटर्न्स अलग-अलग होते हैं क्योंकि SIP के रिटर्न्स को आंतरिक दर (Internal Rate of Return) से मापा जाता है, जो समय के साथ किए गए सभी निवेशों और निकासी को ध्यान में रखता है।
उदाहरण:
मान लीजिए, आपने 5 साल तक हर महीने 10,000 रुपये SIP के माध्यम से निवेश किया। 5 साल बाद आपकी कुल निवेश राशि 6 लाख रुपये होती है और इसकी वर्तमान वैल्यू 8 लाख रुपये हो जाती है। यहां SIP रिटर्न्स को आंतरिक दर के रूप में मापा जाएगा, जो आपके सभी निवेशों और निकासी को ध्यान में रखेगा और अंततः आपको एक वार्षिक दर देगा जो कि 10-12% के करीब हो सकती है।
5. एक्टिव और पासिव फंड्स के रिटर्न्स का विश्लेषण
एक्टिव फंड्स वह फंड होते हैं जहां फंड मैनेजर मार्केट की स्थिति के अनुसार स्टॉक्स को खरीदते-बेचते हैं, ताकि बेंचमार्क से बेहतर रिटर्न्स मिले। वहीं, पासिव फंड्स बेंचमार्क इंडेक्स को ट्रैक करते हैं और उसके अनुसार ही निवेश करते हैं।
उदाहरण:
अगर आपने एक एक्टिव फंड में निवेश किया है, तो उस फंड का एक्सपेंस रेशियो अधिक हो सकता है क्योंकि फंड मैनेजर सक्रिय रूप से मार्केट में काम कर रहे हैं। लेकिन आपको यह देखना होगा कि यह फंड बेंचमार्क इंडेक्स से कितना बेहतर रिटर्न दे रहा है। अगर बेंचमार्क इंडेक्स ने 10% रिटर्न दिया और आपका एक्टिव फंड 12% रिटर्न दे रहा है, तो एक्टिव फंड आपके लिए फायदेमंद साबित हो सकता है।
6. प्राइस रिटर्न इंडेक्स (PRI) और टोटल रिटर्न इंडेक्स (TRI) की तुलना
प्राइस रिटर्न इंडेक्स (PRI) सिर्फ उस स्टॉक या बांड की कीमत में हुए बदलाव को दर्शाता है, जबकि टोटल रिटर्न इंडेक्स (TRI) उस निवेश पर मिलने वाले डिविडेंड्स और कैपिटल गेन्स को भी शामिल करता है।
उदाहरण:
मान लीजिए, आप एक फंड में निवेश करते हैं जिसका प्राइस रिटर्न इंडेक्स 8% है, लेकिन टोटल रिटर्न इंडेक्स 10% है। इसका मतलब है कि आपके निवेश पर 2% का अतिरिक्त लाभ डिविडेंड्स और कैपिटल गेन्स के रूप में मिल रहा है।
निष्कर्ष
म्यूचुअल फंड्स में निवेश करने से पहले, आपको विभिन्न प्रकार के रिटर्न्स को सही ढंग से समझना चाहिए। अब्सोल्यूट रिटर्न, CAGR, रोलिंग रिटर्न्स, SIP रिटर्न्स, और PRI-TRI जैसी अवधारणाओं को समझने से आप अपने निवेश का सही आकलन कर सकेंगे और अधिक जानकारीपूर्ण निर्णय ले सकेंगे।
नोट: म्यूचुअल फंड्स में निवेश करने से पहले संबंधित सभी दस्तावेज़ों को ध्यान से पढ़ें, क्योंकि निवेश बाजार जोखिमों के अधीन होते हैं।
mutual fund calculator by groww: click here